अवैध तरीके से कंपनियों की कमाई:सांठ-गांठ कर सीमेंट और स्टील कंपनियां लगातार ज्यादा रख रही हैं कीमतें

  • सीमेंट की कीमतें एक साल में एक ही स्तर पर बनी हुई हैं
  • स्टील की कीमतें 50 पर्सेंट से ज्यादा बढ़ गई हैं

सीमेंट और स्टील की कीमतों में पिछले 1 साल में आई तेजी ने अब सरकार की भी आंखें खोल दी हैं। ऐसा माना जा रहा है कि एक गिरोह बना कर यानी सांठ-गांठ कर सीमेंट और स्टील की कीमतें बढ़ाई गई हैं। इसका सीधा असर घरों पर और अन्य सेक्टर्स पर पड़ता है। इसकी कीमत आम लोगों को चुकानी होती है।

रेगुलेटर बनाने की योजना

दो दिन पहले ही केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बिल्डर एसोसिएशन के साथ एक मीटिंग में इन सेक्टर्स के लिए रेगुलेटर बनाने की वकालत कर डाली। रेगुलेटर की जरूरत इसीलिए हुई क्योंकि सीमेंट और स्टील की कीमतों को लेकर कोई सीमा तय नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि बड़ी कंपनियां दाम बढ़ाने के लिए आपसी साठ-गांठ के तहत काम कर रही हैं।

सांठ- गांठ का आरोप

गडकरी ने बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (BAI) के एक कार्यक्रम में कहा कि जहां तक स्टील और सीमेंट की बात है यह हम सभी के लिए बड़ी समस्या है। मेरा मानना है कि यह स्टील और सीमेंट सेक्टर के कुछ बड़े लोगों का किया धरा है, जो कि साठगांठ के जरिए यह कर रहे हैं।

दिसंबर में सीसीआई ने की थी जांच

बता दें कि दिसंबर में ही एसीसी और अंबुजा सीमेंट सहित अन्य सीमेंट कंपनियों के खिलाफ भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने सांठ-गांठ की जांच की थी। एसीसी ने कहा कि उसने प्रतिस्पर्धा कानूनों का पालन करने के लिए लगातार कार्रवाई की है और कंपनी जांच में पूरी तरह सहयोग कर रही है। इससे पहले भी सीमेंट कंपनियों पर कई बार इसी तरह के मामले में कार्रवाई की जा चुकी है।

सीमेंट की कीमतें 312 रुपए प्रति बोरी

कीमतों की बात करें तो पिछले साल जनवरी से लेकर अब तक सीमेंट की कीमतें उसी स्तर पर हैं। यानी 312-314 रुपए प्रति बोरी बिक रही हैं। यह जनवरी 2020 में भी इसी कीमत पर बिक रही थी। यहां तक कि कोरोना में जब सब कुछ बंद था, कोई मांग सीमेंट की नहीं थी, तब भी कंपनियों ने कीमतों को पहले के ही स्तर पर बनाए रखा था। हालांकि स्टील की कीमतें काफी बढ़ी हैं। स्टील की कीमतें जनवरी 2020 में 44 हजार रुपए प्रति टन थी जो अब 56 से 58 हजार रुपए प्रति टन है।

स्टील की कीमतें 35 हजार से 56 हजार पर पहुंचीं

स्टील की कीमतें हालांकि मार्च से जून के दौरान 35 हजार रुपए तक चली गई थी, फिर जैसे ही थोड़ी मांग बढ़ी, इनकी कीमतें 50% तक बढ़ गई हैं। वैसे स्टील की कीमतों में बढ़त का जो कारण बताया जा रहा है वह यह कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी कीमतें बढ़ रही हैं। चीन में यह 740 डॉलर प्रति टन है। पहले यह 350 डॉलर प्रति टन थी। स्टील की कीमतें इसलिए भी बढ़ रही हैं क्योंकि खपत बढ़ गई है। कंस्ट्रक्शन शुरू हो गया है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में खपत में 35% की कमी आई थी। जबकि तीसरी तिमाही में इसमें महज 5% की कमी आई है।

सीमेंट की कीमतें 10 सालों से एक ही स्तर पर

सीमेंट की कीमतों की बात करें तो यह पिछले 10 सालों से एक ही कीमत पर है। औसत कीमत इसकी केवल 2% बढ़ी है। स्टील की कीमतों के बढ़ने का असर कंपनियों के रिजल्ट पर भी दिखा है। JSW स्टील का पहली तिमाही में 146 करोड़ रुपए का शुद्ध घाटा था। दूसरी तिमाही में इसे 1,692 करोड़ रुपए का फायदा हुआ था। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAIL) का कर्ज दिसंबर 2020 में 44,308 करोड़ रुपए रहा है। इससे पहले 50 हजार 638 करोड़ रुपए का कर्ज था। टाटा स्टील ने तीन तिमाहियों तक लगातार घाटे के बाद दूसरी तिमाही में 1,665 करोड़ रुपए का फायदा कमाया है।

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https://www.bhaskar.com/business/news/cement-and-steel-companies-are-constantly-keeping-prices-high-128119536.html